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Friday 25 September 2015

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता,बात करना न सही , देखना तो नसीब होता. - Love Shayari


सभी इन्सान है मगर फर्क सिर्फ इतना है!
कुछ जख्म देते है,कुछ जख्म भरते है!!
हमसफर सभी है मगर फर्क सिर्फ इतना है!
कुछ साथ चलते है,कुछ छोड जाते है!!
प्यार सभी करते है मगर फर्क सिर्फ इतना है!
कुछ जान देते है, कुछ जान लेते है!!
दोस्ती सभी करते है मगर फर्क सिर्फ इतना है!
कुछ दोस्ती निभाते है,कुछ आजमाते है!!


चरस मेरी ज़िन्दगी और
सिगरेट मेरा कफ़न, जिस मिट्टी से
बनी चिलम उसी मिट्टी में
दफ़न,
सुट्टे उड़ा ले, ज़िन्दगी के मज़े उड़ा ले,
मर गया तो कब्र के हवाले, फिर कौन बोलेगा उठ यार
एक कश और लगाले... 🚬


जिदंगी एक अभिलाषा हैं.... 
क्या गज़ब इस की परिभाषा हैं.... 
जिदंगी क्या हैं मत पूछो ऐ दोस्तों..... 
सँवर गई तो दुल्हन और बिखर गई तो तमाशा हैं...

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता,बात करना न सही , देखना तो नसीब होता.





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